Bhulekh Kya Hai (भूलेख क्या है) ? जानिये पूर्ण जानकारी

Bhulekh Kya Hai

भूलेख (Bhulekh) एक सरकारी पोर्टल है, जिसे विभिन्न राज्यों द्वारा भूमि के रिकॉर्ड्स की ऑनलाइन जानकारी प्रदान करने के लिए भारत सरकार के नेतृत्व में बनाया गया है। भूलेख शब्द का अर्थ होता है “भूमि का लेखा” या “भूमि का रिकॉर्ड।”

उत्तराखंड में bhulekh.uk.gov.in पोर्टल के जरिए जमीन से जुड़ी जानकारियों को आम नागरिकों तक सुगमता से पहुँचाया जा रहा है | यह पोर्टल The Digital India Land Records Modernization Programme (DILRMP) के तहत शुरू किया गया है|

Bhulekh kya hai (भूलेख क्या है) ?

भूलेख (Bhulekh) एक सरकारी पोर्टल है जिसे अलग-अलग राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा संचालित किया जाता है। इस पोर्टल का इस्तेमाल करके आप अपने शहर या गांव की किसी भी जमीन के बारे में या उस से सम्बंधित आवश्यक जानकारी बहुत आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

भूलेख पोर्टल के जरिये कौन-कौन सी जानकारियां हासिल की जा सकती हैं?

भूलेख पोर्टल के माध्यम से, आप निम्नलिखित जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं –

खसरा नंबर – यह किसी विशेष भूमि के टुकड़े की विशिष्ट पहचान संख्या होती है, जिसे आप भूलेख पोर्टल पर देख सकते हैं।

खतौनी – खतौनी के माध्यम से भूमि के मालिकों की सूची और उनके हिस्से की जानकारी प्राप्त होती है। भूलेख पोर्टल पर आप इसे देख और डाउनलोड कर सकते हैं।

खतियान – खतियान भूमि का विस्तृत रिकॉर्ड होता है, जिसमें भूमि का प्रकार, स्वामित्व, और अन्य विवरण होते हैं। यह भी भूलेख पोर्टल पर उपलब्ध होता है।

जमाबंदी – यह दस्तावेज़ भूमि के स्वामित्व और संबंधित करों की जानकारी रखता है। भूलेख पोर्टल पर इसे भी देखा जा सकता है।

खसरा नंबर क्या है?

खसरा संख्या को डीएजी नंबर के नाम से भी जाना जाता है। खसरा एक फारसी शब्द है जिसका इस्तेमाल भारत में किसी जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। खसरा एक सरकारी दस्तावेज़ है जो किसी विशेष भूमि के टुकड़े का विवरण प्रदान करता है। इसमें उस भूमि का क्षेत्रफल, मालिक का नाम, भूमि का उपयोग (कृषि, आवासीय आदि), और सीमाओं की जानकारी शामिल होती है। खसरा नंबर उस जमीन के टुकड़े की पहचान के लिए एक विशिष्ट नंबर होता है। यह दस्तावेज़ जमीन के स्वामित्व, कर भुगतान, और भूमि से संबंधित कानूनी और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खसरा संख्या कैसे निर्धारित की जाती है?

खसरा संख्या को निम्नलिखित प्रक्रिया के तहत निर्धारित किया जाता है –

भूमि सर्वेक्षण: सबसे पहले, भूमि का सर्वेक्षण किया जाता है, इस सर्वेक्षण में गांव या क्षेत्र की पूरी भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक टुकड़े की सीमाओं, क्षेत्रफल, और अन्य विवरणों को मापा और रिकॉर्ड किया जाता है |

भूमि का विभाजन: सर्वेक्षण के दौरान, भूमि को उसके उपयोग, स्वामित्व, और आकार के आधार पर विभाजित किया जाता है | हर टुकड़ा अलग-अलग पहचान के लिए दर्ज किया जाता है |

खसरा संख्या का आवंटन: प्रत्येक भूमि के टुकड़े को एक अद्वितीय खसरा संख्या दी जाती है | यह संख्या आमतौर पर क्रमबद्ध होती है और गांव या क्षेत्र में अन्य सभी टुकड़ों से अलग होती है |

रिकॉर्ड में दर्ज: एक बार खसरा संख्या आवंटित हो जाने के बाद, इसे सरकारी रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाता है | यह जानकारी ग्राम या तहसील स्तर के राजस्व रिकॉर्ड्स में सुरक्षित रखी जाती है |

नोट: यदि भूमि का स्वामित्व बदलता है या उसमें कोई बदलाव होता है, तो खसरा संख्या में भी परिवर्तन दर्ज किया जाता है, लेकिन आमतौर पर खसरा संख्या वही रहती है और उसी भूमि के टुकड़े के लिए मान्य रहती है | खसरा संख्या भूमि के प्रबंधन और पहचान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इसे सरकारी भूमि रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाता है ताकि भविष्य में भूमि से संबंधित कोई भी कार्य आसानी से किया जा सके |

खसरा संख्या का महत्व

भूमि की पहचान: खसरा संख्या किसी विशेष भूमि के टुकड़े की पहचान के लिए एक विशिष्ट संख्या है, जिससे उस भूमि को आसानी से पहचाना और रिकॉर्ड किया जा सकता है | यह संख्या भूमि के क्षेत्रफल, स्वामित्व, और उपयोग का रिकॉर्ड रखने में मदद करती है |

कानूनी मान्यता: खसरा संख्या का उपयोग भूमि के स्वामित्व से जुड़े कानूनी दस्तावेज़ों में किया जाता है | किसी भी कानूनी विवाद, भूमि हस्तांतरण, या अन्य प्रशासनिक कार्यों में खसरा संख्या का उल्लेख आवश्यक होता है |

भूमि रिकॉर्ड्स में दर्ज: सरकारी रिकॉर्ड्स में खसरा संख्या के तहत भूमि की सारी जानकारी सुरक्षित रखी जाती है, जिससे भविष्य में जमीन से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त करना सरल होता है |

कर निर्धारण: खसरा संख्या के आधार पर भूमि कर (land tax) का निर्धारण और संग्रहण किया जाता है | यह संख्या यह सुनिश्चित करती है कि कर का सही मूल्यांकन और भुगतान हो सके |

विवाद समाधान: जमीन से जुड़े विवादों में खसरा संख्या एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | यह संख्या भूमि के स्वामित्व और सीमाओं की पुष्टि में सहायक होती है, जिससे विवादों का निपटारा किया जा सकता है |

भूमि का उपयोग: खसरा संख्या के माध्यम से यह निर्धारित किया जा सकता है कि किसी विशेष भूमि का उपयोग किस उद्देश्य के लिए हो रहा है, जैसे कि कृषि, आवासीय, या औद्योगिक उपयोग |

खतौनी क्या हैं?

खतौनी भूमि से संबंधित एक ऐसा दस्तावेज जिसमे उस भूखंड से संबंधित खसरा नंबर, उस प्लॉट का क्षेत्रफल, प्लॉट के मालिक का नाम आदि के बारे में जानकारी प्रदान करता है | खतौनी का उपयोग भूमि के स्वामित्व का प्रमाण पत्र के रूप में किया जाता है और इसे विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक कार्यों के लिए आवश्यक माना जाता है, जैसे कि भूमि के स्थानांतरण, ऋण लेने के लिए, या किसी भूमि से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए |

नोट : उत्तराखंड के सभी निवासी अपनी खतौनी (अधिकार अभिलेख की नकल) को bhulekh.uk.gov.in पोर्टल से प्राप्त कर सकते हैं.

खतियान क्या हैं?

यह दस्तावेज़ भूमि का विस्तृत रिकॉर्ड होता है, जिसमें भूमि का विवरण, मालिक का नाम, भूमि का क्षेत्रफल, भूमि के उपयोग का प्रकार (कृषि, आवासीय आदि), और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है | खतियान आमतौर पर विभिन्न सर्वेक्षणों के दौरान तैयार किया जाता है, और इसमें भूमि से संबंधित सभी जानकारियां क्रमबद्ध तरीके से दर्ज होती है | खतियान का उपयोग भी भूमि के स्वामित्व और अधिकारों के प्रमाण के रूप में किया जाता है | यह दस्तावेज़ कानूनी मामलों में, भूमि के हस्तांतरण, और अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है | खतियान को संबंधित राज्य के राजस्व विभाग द्वारा जारी किया जाता है, और इसे संबंधित अधिकारियों के कार्यालयों या ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है |


भूलेख के लाभ और फायदे

  1. ऑनलाइन जानकारी प्राप्त करना: अब आपको भूमि रिकॉर्ड्स के लिए तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं, आप घर बैठे ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
  2. समय की बचत: लंबी कतारों में खड़ा होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वर्तमान समय में सब कुछ डिजिटल है, जिससे समय की बचत होती है |
  3. पारदर्शिता: भूलेख पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी पारदर्शी होती है, जिससे भूमि रिकॉर्ड्स में हेराफेरी की संभावना कम हो जाती है |
  4. कानूनी और प्रशासनिक उपयोग: पोर्टल से प्राप्त जानकारी कानूनी रूप से मान्य होती है और प्रशासनिक कार्यों में उपयोग में लायी जा सकती है |
  5. डिजिटल सुरक्षा: डिजिटल रूप में भूमि रिकॉर्ड्स सुरक्षित रहते हैं, जिससे भौतिक दस्तावेजों के खोने या क्षतिग्रस्त होने का खतरा कम होता है |
  6. अपडेटेड जानकारी: भूमि रिकॉर्ड्स नियमित रूप से अपडेट होते हैं, जिससे सही अपडेटेड जानकारी मिलती रहती है |

निष्कर्ष:
भूलेख पोर्टल से प्राप्त भूमि रिकॉर्ड्स जानकारी समय की बचत, पारदर्शिता, और कानूनी मान्यता प्रदान करती है। इसके माध्यम से नागरिक आसानी से अपनी भूमि से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और भूमि विवादों को सुलझा सकते हैं।

आधिकारिक वेबसाइट : bhulekh.uk.gov.in

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